Screenshot from रहस्य पूर्ण चिट्ठी
“व्यवहार सम्यक्त्व” तथा “अन्यकाल” का क्या अर्थ हैं? व्यवहार सम्यक्त्व से अतिरिक्त काल में निश्चय सम्यक्त्व का गर्भितपना कैसे घटाया हैं?
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“व्यवहार सम्यक्त्व” तथा “अन्यकाल” का क्या अर्थ हैं? व्यवहार सम्यक्त्व से अतिरिक्त काल में निश्चय सम्यक्त्व का गर्भितपना कैसे घटाया हैं?
निश्चय सम्यक्त्व मतलब श्रद्धा गुण का सम्यक होना।
व्यवहार सम्यक्त्व (क्रिया विशेष) होने पर तो ये होता ही है , किन्तु यदि क्रिया न कर रहा हो तो भी श्रद्धा गुण तो अंतरंग से निर्मल ही है। इसलिए अतिरिक्त काल लिखा।
शुद्ध परिणति भी निश्चय सम्यक्त्व का ही रूप है। अब शुद्ध परिणति के अनुरूप बाह्य क्रिया के होने पर अथवा न होने पर सम्यक्त्व तो सुरक्षित ही रहेगा।
निश्चय सम्यक्त्व - आत्मरूप प्रवर्तन
व्यवहार सम्यक्त्व - शुभभावरूप प्रवर्तन (निःशंकितादि 8 गुण इत्यादि, 12 व्रत इत्यादि)
अन्यकाल - मान्य उद्योगी, आरम्भी और विरोधी हिंसा प्रवर्तन