टमाटर अभक्ष्य क्यों

यहाँ बात जो बताई जा रही है वह मेरी अपनी प्रैक्टिकल नॉलेज पर आधारित है किसी ग्रंथ प्रमाण यह बात नहीं कही जा रही तो कृपया अगर आपको यह गलत लगे तो मुझे अवश्य बताएं ।

आपनें सुना होगा पढ़ा भी होगा कि बहु बीज को अभक्ष्य की श्रेणी में रखा गया है परंतु अगर विचार किया जाए तो फिर यह बात सर्वथा सटीक (सही) सिद्ध नहीं होती है । वह कैसे ?

अगर बहू बीज की दृष्टि से टमाटर को अभक्ष्य की श्रेणी में रखें फिर तो लौकी (घीया) ,तोरई ( गिलकी ) ,ककड़ी (ककड़ी बहू बीजिय की अपेक्षा नहीं बल्कि ककड़ी के ऊपरी सतह पर रूँए होने के कारण बहुत से जीव उसके आश्रय से उस पर रहते हैं (माइक्रोस्कोपिक) इसलिए वह अभक्ष्य है ) ,खीरा आदि इन सब को भी बहुवीज से अभक्ष्य मानना पड़ेगा क्योंकि इनमें भी बीज प्रचुर मात्रा में बहुतायत पाए जाते हैं बल्कि यह भी कहें कि इन सब का आधा भाग बीजों से ही भरा होता है । कोई यह तर्क कर सकता है कि कच्चे खीरा में कहां बीज होते हैं तो सब्जी को अपरिपक्व अवस्था में तोड़ लेना और उसका सेवन करना अभक्ष्य है (ऐसा संभव नहीं है की सब्जियों को उनकी पूर्ण आयु भोगने के बाद तोड़ा जाए क्योंकि पूर्ण आयु होने पर सब्जी खाने योग्य नहीं रहती इसलिए उन्हें पूर्ण होने से पहले ही तोड़ा लिया जाता है
। ककड़ी जैसे फलों को पहले तोड़ने का कारण यह भी है कि पकी हुई ककड़ी की अपेक्षा कच्ची ककड़ी खाने में थोड़ा ज्यादा स्वाद देती जबकि फलों को उनकी आयु पूर्ण होने पर तोड़ा जाता है ( लगभग 90% से 95 %) और ज्यादातर फल स्वादिष्ट भी पूर्ण पकने पर ही होते हैं।
कोई कहेगा कि आजकल तो कच्चे फलों को केमिकल से पकाकर बाज़ार में बेचने लाया जाता है तो यह बात आप सबको पता होगी कि फलों की आयु सब्जियों की आयु अधिक होती है और सब्जियों की अपेक्षा फल अपनी अधिकतम आयु भोग लेते हैं ऐसा नहीं है कच्चे फलों को केमिकल से पकाना और उन केमिकल से पके फलों का सेवन करना सही है पर फिर भी सब्जी की अपेक्षा कच्चे फलों में उतना दोष नहीं है ।

अगर टमाटर के विषय में देखें तो इसे प्रैक्टिकली अवश्य सिद्ध किया जा सकता है कि वह अभक्ष्य है परंतु टमाटर का पूरा भाग अभक्ष्य नहीं है केवल टमाटर के बीज को अभक्षय की श्रेणी में रखा जा सकता है

टमाटर के बीज को निकालकर अगर आप उसे हल्के हाथ से मसलेंगे तो आपको दिखेगा कि बीज अंकुरित अवस्था में था अर्थात पूर्ण अंकुरित वह फल के अंदर ही हो जाता है अर्थात बिना भूमि और बाहरी वातावरण के संपर्क में आए बीज फल के भीतर ही अंकुरित (germination)हो जाता है और शास्त्रों में अंकुरित चीजों का सेवन अभक्ष्य की श्रेणी में आता है (उदाहरण के तौर पर अंकुरित चने , दाल आदि अभक्ष्य की श्रेणी में आते हैं )।
टमाटर लाल या फिर आधा पका होने पर भी यही स्थिति रहती है ।

इससे यह सिद्ध होता है कि टमाटर उसके बीच की अपेक्षा अभक्ष्य है लेकिन उसके गुदे में ऐसा कुछ नहीं है जो हरित काय अभक्ष्य की अपेक्षा को छोड़कर अभक्ष्य हो । वह भी अन्य भक्ष्य फलों की भांति ही है और यह भी सिद्ध होता है कि टमाटर बहू बीज की अपेक्षा अभक्ष्य नहीं है

Written by Tanmay Jain

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