निर्माल्य द्रव्य सम्बन्धी

मंदिर में हम जो द्रव्य चढ़ाते हैं, वह निर्माल्य हो जाता है | उसे अब हम कही उपयोग नहीं ले सकते |
तो फिर उस द्रव्य का क्या किया जाता है?
और क्या किया जाना चाहिए ?
विधान आदि में इतना द्रव्य चढ़ाया जाता है, तो क्या वह waste नहीं होता?
कल को लोग ये प्रश्न भी उठा सकते हैं की इतने चावल आप किसी गरीब को दान दे दो, तब क्या जबाब देना चाहिए?

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मंदिर में जो भी चढाया जाता है direct या indirect way में हमारे उपयोग में नहीं आना चाहिए।

Direct
पुजारी या सफाई वाले को बताना की 10,000 आपकी salary और 2 से 3000 आपको चावल आदि से मिल जाएगा मतलब कुल 12 से 13 मिल जाएगा।

इस तरह अन्य अन्य जो भी हो

Indirect

जैसे गाय आदि को खिलाना और उसीका दूध हम पिये या अन्य लोग कोईभी जैन व्यक्ति पिये
इसमें अन्य जो कुछ भी हो सूक्ष्मता से विचार पूर्वक लगाना।

क्या करना?

जिनसे हमारा कोई भी प्रयोजन नहीँ हो जैसे पक्षी आदि उनको खिलाना उचित होगा क्योंकि पहले के समय मे पक्षी आदि का प्रयोग सन्देश भेजने आदि में किया जाता था आज ऐसा कुछ भी नहीं है हमारे आसपास कई जगह ऐसी है जहाँ पक्षियों को अन्न देते है यहाँ हम डाल सकते है
इसमें यदि किसीको कुछ और भी कहना हो तो कह सकते है।

रही बात गरीब की
ऐसी कोई चीज़ नही चढाते जो जिससे हमारी जितनी जन संख्या है उसमें से जितने चावल चढ़ेंगे इससे देश मे भूख मरी हो जावे ।सर्व प्रथम उनको कहना कि जितना होटलो में या शादी आदि में बर्बाद हो जाता है इसके सामने यह कुछ नहीं प्रथम वहाँ जाकर बर्बादी रोको। स्थूल रूप से उनको कहे की इससे किसीके परिणाम अच्छे हो रहे है किसीका जीवन अच्छा हो रहा है इससे ज्यादा बड़ी बात क्या है?
जिनागम की एपेक्षा कोई चरित्र से हिंसक जानवर एवं मनुष्यो को दान देना भी उचित नही है क्योंकि वे भोजन करने के बाद उसीमें जुड़ जावेगे उनको अपने अपने पूण्य अनुसार मिल जाएगा अपने को इसमे ज्यादा उपयोग लगाना उचित नही है।

सामग्री के बारे में।
अपने को जितनी हो सके उतना कम से कम लेकर काम हो जावे ऐसा विचार लगाना। सामग्री को स्वयम अपने हाथों से ही तैयार करना ,readymade थाली का प्रयोग करने से अच्छा है कि बिना सामग्री पूजन करे इस विषय पर बहुत कुछ कहा जा सकता है सब typing से कहना सम्भव नही थोड़ा कहा…

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