तीर्थंकर भगवान के शुभ लक्षण

तीर्थंकर केवली के शरीर में १००८ शुभ लक्षण के चिन्ह होते है-९०० तिल और १०८ शुभ बड़े चिन्ह होते है। (दर्शन पाहुड/अष्ट पाहुड) यह ९०० तिल या व्यंजन क्या होते है? हमें जो शरीर पर तिल या spots होते है वैसे तो परम औदारिक शरीर में हो नहीं सकते क्यों की उन के तो वे शुभ लक्षण है।

सर्व प्रथम छद्मस्त अवस्था मे उनको औदारिक शरीर होता है परम औदारिक तो 13 वे में होता है।

मात्र तिल होने से शुभ नहीं समझना ग्रह,नक्षत्र की अवस्थाएं आदि कई वस्तुए एक साथ ऐसे संयोग बने तभी शुभ नाम पाती है
कई बार बहुत व्यक्ति के हाथ मे धन की रेखा देखने मे आती है और धनवान के हाथ मे धन की रेखा नही देखने मे आती ऐसे समझना।

यह सब तो स्थूल बाते है मूल में वे वैरागी होकर भगवान बनने वाले है यही सर्वोत्कृष्ट पना है इसीलिए अपने जीवन में वैराग्य कैसे बढ़े और कब भगवान बने इसी ओर उपयोग लगाना चाहिए बाकी सब संसार बढ़ाने के कारण है।