औपशमिक सम्यक्त्व में ६ प्रकृतियों का उपशम कैसे?

गुणस्थान विवेचन, पृष्ठ ४३, प्रश्न ६८. इसमें औपशमिक सम्यक्त्व में ५, ६, ७ प्रकृतियों का उपशम बताया है. यह कैसे हुआ कृपया बताएं?

  • ५ प्रकृतियाँ - संभव है (अनादि मिथ्यादृष्टि के, ४ अनंतानुबंधी, १ दर्शनमोहनीय)
  • ७ प्रकृतियाँ - संभव है (सादी मिथ्यादृष्टि के, ४ अनंतानुबंधी, दर्शनमोहनीय)

६ कैसे संभव हुई? ६ तो क्षायोपशमिक सम्यक्त्व में होनी चाहिए।

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क्षायोपशमिक सम्यकत्व में 6 का उपशम और एक का उदय होता है।

औपशमिक सम्यकत्व होने के बाद(दर्शन मोहनीय 3 टुकड़े होने पर) पल्य का असंख्यातवां भाग बीतने पर दर्शन मोहनीय की 3 प्रकृति में से 2 ही शेष रहती हैं (सम्यक प्रकृति की सत्ता नही रहती, केवल मिथ्यात्व और सम्यक मिथ्यात्व ही रहती हैं) और पुनः पल्य का असंख्यातवां भाग बीतने पर दर्शन मोहनीय की 2 में से 1 प्रकृति ही शेष रहती है (केवल मिथ्यात्व)

उसमें जब पल्य का असंख्यातवां भाग बीतने पर 7 से 6 की ही सत्ता रह गई थी, तब यदि कोई औपशमिक सम्यकत्व करेगा तो 6 का ही उपशम होगा - इस तरह संभव है।

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