क्या वर्तमान में कोई भावलिंगी मुनिराज विद्यमान है?

हम देखते है की वर्तमान में पंचम गुणस्थान वर्ती श्रावक नहीं है जो मुनिराज के योग्य आहारशुद्धि वाला भोजन बनाकर मुनिराज को आहार दान करे, अतः क्या भावलिंगी मुनिराज नाम- धारी श्रावक से आहार दान ग्रहण करते हैं ? क्या वर्तमान में भावलिंगी मुनिराज विध्यमान है ?

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How can you be so sure there is no पंचम गुणस्थान वर्ती श्रावक?

We personally hardly know tens of thousands of people currently and India is too big with 1.3 billion population. Let’s assume that in some corner, some one (श्रावक / भावलिंगी मुनिराज) might be following Jainism in its purest form.

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सर्व प्रथम यह मान्यता को तोड़ना होगा कि मुनिराज को आहारदान मुख्यतः पंचम गुणसथान वर्ती देते है।

मूल में श्रावक और मुनिराज के आहार में कोई अंतर नही होता,और मुनिराज के लिए कभी भी अलग से चौका नही लगता,वो हमारे भोजन में से ही कुछ ले लेते है
इससे यह ख्याल में आता है कि हमारा भोजन प्रतिदिन शुद्ध ही होना चाहिए जिसे कभी भी मुनिराज आ जावे तो हम उनको पड़गाहन में कह सके कि आहार जल शुद्ध है।
यदि आहार नही भी होवे तो भी भाव पूर्वक शुद्ध भोजन बनाने वाले श्रावक को आहारदान का फल मिलता है

उद्दिष्ट त्यागी मुनिराज,आर्यिका और 11 वी प्रतिमा धारी उनके लिए बनाया हुआ कुछ भी ग्रहण नही करते नही तो पूरी क्रिया का दोष उन्हें लगेगा,हमारा कर्तव्य यह है कि प्रतिदिन शुद्ध भोजन बनावे।

यहां उनके और नही देखकर क्या हम भाव पूर्वक शुद्ध बना सकते है ?यह विचार करना

किसी और के दोष देखकर कषाय नही करना स्वयं में परिवर्तन लाने की भावना को बढावे।

प्रथमानुयोग में जगह जगह लिखा है कि सबसे ज्यादा आहारदानके प्रसंग में प्रथम गुणस्थान वर्ती ही होते है
जैसे आदिनाथ भगवान का दसवां पूर्व भव वज्रजंग राजा ने मिथ्यात्व अवस्था मे ही आहारदान दिया था उसी के फल स्वरूप वे भोभूमि में जन्मे थे ऐसे कई उदाहरण है,जबकि पंचम गुणस्थान के बहुत कम देखने मे आते है।

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उद्दिष्ट त्यागी मुनिराज कोई श्रावक के घर आहार के लिए जाते है तो घर के बाहर ये प्रतिमा धारी या पंचम गुणस्थानवर्ती का घर है इस कोई लिखा तो होता नहीं इसीकारण ये प्रत्येक श्रावक मात्र का कर्तव्य है।

राजा कभी पंचम गुणस्थानवर्ती नही हो सकता उस पद पर कई हिंसा हो ऐसे कुछ निर्णय लेने पड़ते है और प्रथमानुयोग में कई मुनिराजों एवं तीर्थंकर(मुनि अवस्था मे) का आहार राजा के यहां हुआ ऐसा पढ़ने में आता है,राजा का गुणस्थान कोनसा है यह मुनिराज को कैसे पता चलेगा?यह तो केवलज्ञान या विशेष अवधिज्ञान गोचर विषय है उनको अंतराय रहित शुद्ध आहार मीले यही कार्यकारी है।

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