सच्चा जैनी बन ने की ख्वाइश

मेरे माइंड में इन दिनों एक बात कांस्टेंट चलते रहती है कि सिर्फ और सिर्फ इस बात पर ध्यान दूँ कि जिनवाणी में एक दिगम्बर जैन के लिए सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र की क्या डिस्क्रिप्शन बताई गई है बाकी किसकी क्या मान्यता सबको माइंड से बिल्कुल डिलीट कर दूं सदा के लिए अनफॉलो कर दूं।

जिनवाणी के माध्यम से सिर्फ और सिर्फ सच्चे देव शास्त्र गुरु की व्याख्या को जानू समझू और धीरे धीरे इम्प्लीमेंट करूँ और सिर्फ और सिर्फ उन्हीं की बातों को फॉलो करूँ जो केवल जिनवाणी में कही बातों की चर्चा एवं उसी से रेगार्डिंग उपदेश देते है।

जैसे जैसे वीतरागी और सरागी का अर्थ और दोनों के बीच का डिफरेंस समझ में आ रहा है। शब्दों में बता नहीं सकती के खुद को कितना ब्लेस्ड मान रही हूं कि मुझे मनुस्य में दिगम्बर जैन गति मिली। अब यही भावना के जन्म से तो दिगम्बर जैन अब दर्शन ज्ञान और चारित्र से भी दिगम्बर जैन बन जाऊं इसी भव में यानी ये शरीर त्यागने से पहले पहले। यानी अंत भला तो सब भला। :blush:

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