जैन दर्शन अनुसार कर्मों की होली

1-होली जलानी ही है तो पाप और

विकारों की होली जलाये।

2-खेलनी ही है तो होली रंगो के साथ नही

वीतरागी संतो के साथ खेलिये।

3-जीवन मे वीतरागता का रंग चढ़े,ये ही

सच्ची होली है।

4-गंदे रंगो को मुँह पर मत लगाइये बल्कि

शील,संयम और सदाचार से अपने

जीवन को सजाइये।

5-ज्ञान की गुलाल ही,सबके मस्तक पर

लगाइये।

6-संयम की पिचकारी से अपनी परिणति

को खूब भिगाइये।

7-पानी से नही,जिनवाणी से सबको

नहलाइये।

8-किसी को कीचड़ नही लगाइये बल्कि

पाप के कीचड़ में फॅसे जीव को उससे

छुड़ाइये।

9-भगवंतों के रंग में रंगने के लिए,अपना

सारा जीवन लगाइये।

10-होली नही, holy अर्थात पवित्रता का

पर्व मनाइये।