समाधि मरण शंका समाधान

इस युग में आज दिन तक जिनका भी समाधिमरण हुआ है क्या उन सभी जीव को मोक्ष की प्राप्ति हुई होगी?

यह उनके परिणाम पर निर्भर है यह तो वे और केवली ही जाने,
मूल में समाधिमरण में कोई धर्म नही है,परन्तु जीव में उतपन्न वीतरागता और परिणाम में विशुद्धि राग का घटना श्रद्धान सम्यक होना
यह कार्यकारी है समाधिमरन ,व्रत, तप आदि सभी हमे इस मार्ग में आगे बढ़ने में निमित्तरूप में कार्यकारी होते है

ऐसा समझना

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किन्तु यदि पंचमकाल में समाधिमरण अथवा सम्यकदर्शन हो जाता है तो वह जीव यहां से स्वर्ग जायेगा और फिर चतुर्थकाल में जन्म लेकर उसी भव से मोक्ष प्राप्त करेगा।

समाधिमरण की तैयारी को अथवा बाह्य त्याग इत्यादि को समाधिमरण नहीं समझना, आत्मनुभव के काल में अर्थात् निर्विकल्प अवस्था में यदि जीव मरण को प्राप्त हो तब ही वह वास्तव में समाधिमरण है।
बाकि बाह्य त्याग करना सर्वप्रथम रसों का त्याग करना फिर भोजन छोड़ना, फिर गर्म दूध, फिर छाछ अकेली लेना और फिर गर्म पानी और फिर उसका भी त्याग ये सब बाह्य क्रिया व्यवहार से समाधिमरण कहने में आती है। किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तव में तो आत्मनुभव के काल में अर्थात् निर्विकल्प अवस्था में यदि कोई मरण को प्राप्त हो तब ही वह वास्तव में समाधिमरण है।