मनुष्य शरीर में विकलेन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति

प्रश्न - जब तक मनुष्य शरीर और जीव का संयोग होता है तब उस शरीर में अन्य विकलेन्द्रिय की उत्पत्ति होती है? आज का विज्ञान तो कहता है, की होती है पर मुझे जैन शास्त्रों के आधार से जानकारी चाहिए। हमें पाठशाला में ऐसा सिखाया गया था कि रक्त, थूंक, विष्टा वगैरह जब शरीर से बहार निकलते है, तभी ही समूर्छन विकलेन्द्रिय जीवोँ की उस में उत्पत्ति हो जाती है।

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यहाँ पर प्रश्न में कुछ गलती हुई है।
जब जीव शरीर का संयोग होता है तब जीवोत्पत्ति होती है ऐसा नही है

मूल में शरीर स्वयम अनेक विकलेन्द्रिय जीवो से युक्त ही है।मृत्यु के बाद भी शरीर मे अनेको जीवो की उतपति होती रहती है।

यह तो आगम में जगह जगह पर लिखा हुआ है।आप अशुचि भावना पढोगे तो भी आएगा एवम औदारिक शरीर को सप्तधातुमय कहा यह इसी अपेक्षा से कहाँ

मात्र बाहर निकले तब तो होती ही है लेकिन वह स्वयम शरीर के अंदर हो तब भी विकलेन्द्रिय से युक्त ही है।

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