प्रश्न - जब तक मनुष्य शरीर और जीव का संयोग होता है तब उस शरीर में अन्य विकलेन्द्रिय की उत्पत्ति होती है? आज का विज्ञान तो कहता है, की होती है पर मुझे जैन शास्त्रों के आधार से जानकारी चाहिए। हमें पाठशाला में ऐसा सिखाया गया था कि रक्त, थूंक, विष्टा वगैरह जब शरीर से बहार निकलते है, तभी ही समूर्छन विकलेन्द्रिय जीवोँ की उस में उत्पत्ति हो जाती है।