माँस में उत्पन्न निगोदिया जीव

यहां पर उसी पशु की जाति के जीव का अर्थ स्पष्ठ करें। क्या उनका shape उस प्रकार का होता है?

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संजीव जी भाईसाहब के संयम प्रकाश ग्रन्थ के प्रवचनों में इस प्रकार की बात आई थी।

उन्होंने इसे ऐसे कहा था कि/-
मर्यादा भंग होने पर गाय के दूध में उसी के आकार/shape के, भैंस के दूध में उसी के आकार के (अर्थात छोटी-छोटी गाय-भैंस) जीव उत्पन्न हो जातें हैं।
(माँस पर भी ऐसे ही लागू करना

संयम प्रकाश का वह अंश/-

विचित्रता देखें कि मांस खाने वाला व्यक्ति मात्र एक गाय की ही नही, उस जाति की अनन्त गायों(निगोदिया जीवों) को भी खाकर पाप का भागी बनता है।

जी हाँ, shape/आकार उन्हीं का।

थोड़ा विचार कर सकते हैं/-
• करणानुयोग में 93 नामकर्म की प्रकृतियों में जाति नामकर्म जब पढ़ते हैं, तो वहाँ पंचेन्द्रिय ली, उसके according यहाँ अर्थ ले?
• (आकार)जाति सामान्य को ले?

दोनों ही अर्थों को देखें तो संयम प्रकाश में स्पष्ट कर दिया है, इतना भी कहा जा सकता है कि उपर्युक्त पुरुषार्थसिद्धि उपाय के अंश(गाथा- 67) में सामान्य कथन और संयम प्रकाश के अंश(पृष्ठ- 246, उत्तरार्ध) में विशेष कथन/विवक्षा बताई है।

तथा,
उद्धरण में लिखा है - उस पशु की जाति के अनन्त निगोदिया जीव
यहाँ भ्रम हो सकता है कि निगोदिया जीवों का तो आकार निश्चित है, तब पशु की बात कैसे बने? तो इसका समाधान होगा कि/
• निरन्तर निगोदिया जीव तो उत्पन्न होते ही रहते हैं,
• साथ ही उस जाति के जीव भी पैदा होते रहते हैं।
ये दो अलग-अलग बाते हैं।

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