अनुभव के काल में ज्ञान की कैसी प्रवृत्ति होती है?
तथा उस काल में मतिज्ञान चलता है अथवा श्रुतज्ञान?
पंडित प्रवर टोडरमल जी द्वारा रचित रहस्य पूर्ण चिट्ठी में अनेक विवक्षा द्वारा इस विषय का खुलासा किया हैं।
              
              
              3 Likes
            
          समयसार पक्षतिक्रांत वाला प्रकरण देखें।
गाथा 141 से 144.
मुख्यतया आत्मख्याति को आधार बनाएं

