जिस प्रकार एक शरीर में अनंत वनस्पति कायिक जीव रह सकते है, तो क्या इस ही प्रकार बाकी स्थावर में भी अनंत जीव रहते है।
अगर नहीं तो पूरे समद्र में क्या एक ही जल कायिक जीव है क्या, ऐसे ही क्या वायु कायिक जीव का शरीर कितनी अवगाहना का होता है, और पृथ्वी कायिक जीव कहा कहा होते है और उनकी अवगाहना कैसे मापी जाती है?
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पृथ्वी जल आदि स्थावर जीवों के शरीर की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग मात्र है एक एक शरीर की पृथक पृथक अवगाहना दिखाई नहीं होती. , अनेक जीवों के शरीर मिलकर ही पृथ्वी आदि इन्दिय गोचर होते हैं
मात्र साधारण वनस्पति में ही एक शरीर में अनन्त जीव होते हैं पृथ्वी, जल,वायु, अग्नि में नहीं
पूरे समुद्र में असंख्यात जलकायिक जीव होते हैं
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इसका प्रमाण उपलब्ध हो सकता है क्या?
Tatvarthsutra teeka pandit Chetan Das ji, bhramchari kalpna Ben ka anuvad, bhag 1, adhyay 2, sootra number 13, page number 311,312.
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