क्या भावलिंगी संत निगोद में जा सकते हैं?

क्या भावलिंगी संत भ्रष्ट होकर आगामी पर्यायो में निगोद में जा सकते हैं?

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यद्यपि मेरे ज्ञान में कोई आगम साक्ष्य तो नहीं है, परंतु तर्क के द्वारा यह सिद्धि होती है कि हाँ, भावलिंगी मुनिराज निगोद में जा सकते हैं।
चूंकि सम्यग्दर्शन प्राप्ति के पश्चात अधिकतम अर्ध पुद्गल परावर्तन काल जीव इस संसार में व्यतीत कर सकता है, और अन्य तीन गतियों में कहीं भी इतनी अधिक आयु नहीं है। तो जो इतना लंबा काल है, वह निगोद में ही बीतता है।
इससे सिद्ध होता है कि भावलिंगी मुनि निगोद में जा सकते हैं।

सुझाव एवं सुधार अपेक्षित है।

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परंतु यह नियम मात्र अविरत सम्यकदृष्टि का भी हो सकता हैं। भावलिंगी मुनिराजों के नियम कुछ और हो। शायद इसका वर्णन सर्वार्थ सिद्धि ग्रन्थ के सत, सँख्या सूत्र में हो।

हाँ, भावलिंगी मुनिराज मिथ्यातदृष्टि होकर निगोद में जा सकते है।

Do you have any reference?

जब अंतर प्ररूपणा देखते हैं, उसमें छठवें गुण स्थान का उत्कृष्ट अंतर अर्ध पुद्गल परावर्तन है इस काल में वह जीव नीगोद में नियम से जाता ही है। इसका reference धवल की पुस्तक 5 औऱ 10 में है।

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who are Bhav lingi Saint?

There are 14 stages of a soul (गुणस्थान). The souls above 5th stage are always a Monk (मुनिराज/संत) and are known as भावलिंगी संत.

Below 6th stage, monks following 28 basic rites are called द्रव्यलिंगी संत. If not following 28 basic rites, they are on 1st stage.

Refer this article by @Sarvarth.Jain for more details on Jain Monks.

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