मूल गुजराती इस प्रकार है:
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुझे जो समझ में आया वह इसप्रकार है:
वर्गणा शब्द वरगण (વળગણ) का तत्सम रूप भासित होता है जिसका भाव है किसी भी प्रकार का लगाव।
पूरे वाक्य का अर्थ कुछ इसप्रकार है:
किन संबंधों के साथ / किनके साथ मेरा लगाव है कि जिससे फिर यह विचार करूँ कि इसे रखूँ और उसे त्याग दूँ।
हिन्दी अनुवाद में ‘दुःखमय’ शब्द किस गुजराती शब्द का अनुवाद है यह ज्ञात नहीं हो सका।