कृपया प्रश्नों का उत्तर उत्तर शैली में देने का प्रयास करें, व्याख्यान रूप में नहीं।
- वीर निर्वाण के पश्चात 683 वर्ष की श्रुत परंपरा का वर्णन प्राप्त होता है उसमें वर्षों की संख्या कैसी है?
62+100+181+220+118.
इनका कुल 681 होता है 683 नहीं।
इसमें से कहाँ पर सुधार अपेक्षित है?
- महावीर भगवान के निर्वाण के 100 वर्ष के बाद कोई भी श्रुत केवली नहीं हुए, जो 5 हुए वे 100 वर्ष के अंतर्गत हुए। अथवा 162 वर्ष के अंतर्गत हुए?
दोनों में से कौनसा उल्लेख कालगणना के अनुसार सही है?
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162 वर्ष की गणना के अनुसार तो चंद्रगुप्त का भद्रबाहु के समय मे होना सही बैठता है, किन्तु 100 वर्ष के भीतर का प्रमाण मानने पर चंद्रगुप्त और भद्रबाहु में समय का अंतराल कुछ अधिक हो जाता है जिसके आधार पर दोनों के समय में मेल बैठाना कठिन है। किन्तु, यदि 100 वर्ष का प्रमाण नहीं मानते हैं तो ब्रह्मदेव विरचित श्रुत स्कंध में जो 100 वर्षों का उल्लेख हिंदी अर्थ में दिया है उसका क्या होगा?
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द्वितीय भद्रबाहु प्रथम भद्रबाहु से कितने वर्ष बाद हुए? क्या दोनों ही अष्टांग निमित्त के ज्ञाता थे?
प्रथम के संदर्भ में तो अकाल की घटना का उल्लेख है, किन्तु क्या द्वितीय भद्रबाहु के संदर्भ में भी निमित्त ज्ञान की किसी घटना का वर्णन प्राप्त होता है?
- 683 वर्ष व्यतीत होने के बाद अंगों के अंश के ज्ञाता अर्हत मुनि हुए, तो ये अर्हत क्या वे ही आचार्य अर्हत हैं जिनके संघ से पुष्पदंत और भूतबलि धरसेन आचार्य के पास आये थे अथवा कोई अन्य थे?