काल द्रव्य जीव/आकाश/धर्म/अधर्म के परिणमन में निमित्त कैसे?

काल द्रव्य बाक़ी द्रव्यों के परिणमन में निमित्त होता है। लोकाकाश के हर एक प्रदेश पर एक एक काल द्रव्य है। प्रश्न:

काल द्रव्य अनेक-प्रदेशी द्रव्यों के परिणमन में कैसे सहायक है? इतना तो समझ आता है कि हर पुद्गल परमाणु केवल १ ही प्रदेश पर स्थित होगा, तो उसके परिणमन में निमित्त उस प्रदेश का काल द्रव्य होगा।

जीव, जो कि असंख्य प्रदेशी है (निगोदिया जीव को गौण करें तो), और जीव का परिणमन तो एक साथ ही होगा (अर्थात ऐसा नहीं है कि जीव के हर एक प्रदेश का परिणमन स्वतंत्र रूप से होगा) तो जीव के प्रदेशों में स्थित काल द्रव्य कैसे निमित्त होंगे? क्या सब काल द्रव्य की पर्याय एक ही प्रकार की होंगी (केवल इस जीव के परिणमन के संदर्भ में)? और जीव की पर्याय के उत्पाद-व्यय में सभी काल द्रव्य एक साथ निमित्त कहलाएँगे?

प्रश्न २: काल द्रव्य के परिणमन में कौन निमित्त है? स्वयं काल द्रव्य तो निमित्त होगा नहीं (वह तो उपादान होगा)।

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इसका विवरण द्रव्य संग्रह के गुरुदेव श्री के प्रवचनों में आया है।


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