जिनधर्म आधारित वास्तु शास्त्र

क्या वास्तु शास्त्र का वर्णन जैन धर्म में है? एवम जैन धर्म में दिशायो का क्या महत्त्व है?

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Veer Sagar Ji talked about it on his series of pravachan on Jain Jyotish. He mentioned that the vastu shastra is not related to any religion rather it is a common shastra just like maths, chemistry, physics etc. Vastu simply means the study about earth. Even ancient people were using it to find out the mines of coal, oil, gemstones etc. He believes that one can also predict an earthquake by using it. But modern day Vastu shastra is modified and the real shastra might have lost, so we can’t believe on something which is not authentic.

Sumat prakash ji relates vastu shastra with the practise of ahinsa. Eg- Kitchen countertop should not made up of dark color stones (bcoz on dark stones insects are not easily visible) etc.

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https://drive.google.com/file/d/1-5vv871s58QJsid0VJmGAxG4hsupd2TH/view?usp=drivesdk

जैन वास्तु-विद्या:point_up_2: इसमें अनेकों ऐसे विषय हैं, जिनसे हम-आप बहुत कुछ सीख सकतें हैं।
(पुस्तक का सम्पादन आदरणीय सुदीप जी भाईसाहब ने किया है।)

• जिनधर्म किन्ही भी मायनो में पीछे नही है, यहाँ केवली परमात्मा ने प्रत्येक विद्या-कला-क्षेत्र का ज्ञान जीवों को बताया है।

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वास्तु के प्राचीन ग्रन्थ :
मनसार में 32 वास्तु ग्रन्थों का उल्लेख है उनमें से कुछ ग्रन्थों के नाम इस प्रकार है - समरांगणसूत्रधार, मनुष्यालय-चन्द्रिका, राजवल्लाभम् रूपमण्डम् वास्तु विद्या, शिल्परन्तम, शिल्परत्राकर मयवास्तु, सर्वार्थ शिल्पचिन्तामणि। मयभत, विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र, मानसार, वृहसंहिता, विष्णु धर्मोत्तर, अपराजित पृच्छ, जय पुच्छ, प्रसाद मण्डन, प्रमाण पंजरी, वास्तुशास्त्र, वास्तु मण्डन, कोदण्ड मण्डन, शिल्परत्न, प्रमाण मंजरी आदि। अर्थवेद का उपवेद स्थापात्य वेद को प्राचीनतम वास्तु-शास्त्र में गणना की जाती है। ऋग्वेद में अनेकों स्थान पर वास्तुपति नामक देवता का उल्लेख किया गया है।
वृहत्-संहिता और मत्स्यपुराण में वर्णित वास्तु के आचार्यों के नाम :
प्राचीनकाल के प्रसिद्ध आचार्यों के नाम विश्वकर्मा, भृगु, अत्रि, वशिष्ट, अग्निरुद्ध, मय, नारद, विपालाक्ष, पुरंदरें, ब्रह्मा, कुमार, शौनक, गर्ग, वासुदेव, वृश्पिति, मनु, पराशर, नंदीश्वर, भरद्वाज, प्रहलाद, नग्नजित, अगस्त और मार्कण्डेय हैं। वर्तमान समय में विश्वकर्मा और मय सर्वाधिक चर्चित आचार्य हैं।

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आदरणीय वीरसागर जी भाईसाहब की यूट्यूब पर वीडियो भी इस विषय पर स्पष्ट समाधान में समर्थ हैं।

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