क्या गुल्लक, बहीखाता आदि पूजना चाहिए?

जैसे प्राचीन काल में शस्त्रादि पूजे जाते थे वैसे ही वर्तमान में बही खाता, कांटा(तराजू), गुल्लक आदि पूजे जाना चाहिए या नहीं? पूजे जाना चाहिए तो क्यों? और नहीं तो क्यों?
संभव हो तो सप्रमाण खुलासा कीजिए।

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बही-खाता का पूरा प्रयोजन व्यापार, पैसा आदि से है। उसे पूजना कुशास्त्र के पूजने के बराबर मिथ्यात्व है। उसे पूजना का एकमात्र अर्थ उस पूजन से लौकिक प्रयोजन की सिद्धि करना है जो की आगम विरुद्ध है और पूजन के स्वरूप के विरुद्ध है।

लेकिन चूँकि दीपावली विभिन्न व्यापारियों के लिए नव-वर्ष के समान है तो उस दिन नए बही-खाते लाकर उनकी बिना पूजन या धार्मिक दृष्टि से स्थापन (भगवान के मंडप पर नहीं लेकिन अलग से) कर सकते है उसमें कोई दोष नहीं होना चाहिए।

बाक़ी तो विद्वजन प्रकाश डालेंगे।

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