समरंभ, समारंभ, आरम्भ से आशय?

समरंभ, समारंभ, आरम्भ से क्या भाव लेना है? थोड़ा विस्तार में बताएं .

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- सर्वार्थसिद्धि, अध्याय 6, सूत्र 8, पृ. 249

हिंसादि से युक्त कोई भी कार्य करने के लिए प्रयत्नशील होना, उसके लिए सामग्री जुटाना और कार्य करना - यह क्रमशः संरम्भ, समारंभ और आरंभ की सामान्य परिभाषा है।

हिंसा - मारने का भाव, उसकी तैयारी, क्रिया। इसीप्रकार शेष पापों में भी घटाया जा सकता है।

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