करणानुयोग परिचय (डॉ उज्ज्वला जी शाह द्वारा लिखित) में बताया है कि आयु कर्म किस प्रकार बंधता है।
प्रश्न है कि आयु के साथ गति (नरक, तिर्यंच आदि) कैसे बंधेगी? क्यूँकि अगर आयु बंध गयी है तो गति भी तो साथ बंधनी चाहिए? जैसे अगर १०००० वर्ष की आगामी भव की आयु बंध गयी है तो ज़ाहिर है कि नरक गति ही बंधेगी? तो गति बंध का क्या नियम है?