तीर्थंकर सम्बन्धी

एक साथ कितने तीर्थंकर हो सकते है
और कहते है कि अजितनाथ भगवान के काल में 170 तीर्थंकर हुए थे इसका कोई आगम प्रमाण मिलता है

Jain Jinendra,

Maximum number of Tirthankaras is 170 at any time, which occurred during Shri Ajithnath Swami’s period.
It is based on the below:
5 Bharat kshetras = 5 * 1 = 5 Tirthankars
5 Airavat kshetras = 5 * 1 = 5 Tirthankars
5 Videha kshetras = 5 * 32 = 160 Tirthankars (1 Videha has 32 Arya khand)
This comes in Triloksar granth i think.

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अजितनाथ भगवान के काल में 170 तीर्थंकर हुए थे इसका कोई आगम प्रमाण मिलता है क्या

I don’t know. If anyone has, please share.

कर्म-भूमियों के आर्यखण्ड में ही तीर्थंकर होते हैं !
विदेह-क्षेत्रों के 32x5=160 और बाकी 5 भरत, 5 ऐरावत जोड़ कर अढ़ाई-द्वीप में कुल 170 कर्म-भूमियाँ हैं !
सो, एक समय में होने वाले तीर्थंकरों कि अधिकतम संख्या 170 है !

इसका प्रमाण इस तरह से देखे त्रिलोकसार गाथा ६८१ ( महापुराण/76/496-497 )।
देसा दुब्भिक्खीदीमारिकुदेववण्णलिंगमदहीणा। भरिदा सदावि केवलिसलागपुरिसिड्ढि-साहूहिं।680। तित्थद्धसयलचक्की सट्ठिसयं पुह वरेण अवरेण। वीसं वीसं सयले खेत्तेसत्तरिसयं वरदो।681।
= विदेह क्षेत्र के उपरोक्त सर्व देश अतिवृष्टि, अनावृष्टि, मूसा, टीडी, सूवा, अपनी सेना और पर की सेना इन सात प्रकार की ईतियों से रहित हैं। रोग मरी आदि से रहित हैं। कुदेव, कुलिंगी और कुमत से रहित हैं। केवलज्ञानी, तीर्थंकरादि शलाकापुरुष और ऋद्धिधारी साधुओं से सदा पूर्ण रहते हैं।680। तीर्थंकर, चक्रवर्ती व अर्धचक्री नारायण व प्रतिनारायण, ये यदि अधिक से अधिक होवें तो प्रत्येक देश में एक-एक होते हैं और इस प्रकार कुल 160 होते हैं। यदि कम से कम होवें तो सीता और सीतोदा के दक्षिण और उत्तर तटों पर एक-एक होते हैं, इस प्रकार एक विदेह में चार और पाँचों विदेहों में 20 होते हैं । पाँचों भरत व पाँचों ऐरावत के मिलाने पर उत्कृष्ट रूप से 170 होते हैं। त्रिलोकसार गाथा ६८१ ( महापुराण/76/496-497 )।

https://hi.encyclopediaofjainism.com/index.php/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%A8_%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE

प्रश्न ये है कि अजितनाथ भगवान के समय में एक साथ 170 तीर्थंकर हुए थे या नहीं और यदि हुए थे तो क्या कोई आगम प्रमाण है

अजितनाथ भगवान के समय में एक साथ 170 तीर्थंकर हुए थे इसका प्रमाण श्वेताम्बर ग्रन्थोमे है दिगम्बर आम्नाय में भो इसकी मान्यता है पर आगम का सन्दर्भ मुझे भी पता नहीँ

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