सप्तभंगी के सम्बंध में प्रश्न है:
परमभाव प्रकाशक नयचक्र, प्रष्ठ ४०७
इस उल्लेख में “कहे जा सकने में” ३ ही क्यूँ लिए? नहीं कहे जा सकने के विरुद्ध ४ नय क्यूँ नहीं लिए?
(१) सब कुछ कहा जा सकता है
(२) अस्तित्व कहा जा सकता है
(३) नास्तित्व कहा जा सकता है
(४) क्रम से दोनो कहे जा सकते है
दूसरा उदाहरण देखे तो
इसमें (४) में कथनचित घट अव्यक्तव्य लिया। उसके विरुद्ध कथनचित घट व्यक्तव्य्य क्यूँ नहीं लिया?