जीव द्रव्य, तीन काल के समय और मोक्ष संबंधित

षट्द्रव्यों की संख्या का निर्देश
गोम्मटसार जीवकांड/588/1027जीवा अणंतसंखाणंतगुणा पुग्गला हु तत्तो दु। धम्मतियं एक्केक्कं लोगपदेसप्पमा कालो।588।=द्रव्य प्रमाणकरि जीवद्रव्य अनंत हैं, बहुरि तिनितैं पुद्गल परमाणु अननत हैं, बहुरि धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य और आकाशद्रव्य एक-एक ही हैं, जातै ये तीनों अखंड द्रव्य हैं। बहुरि जेते लोकाकाश के (असंख्यात) प्रदेश हैं तितने कालाणु हैं। ( तत्त्वार्थसूत्र/5/6 )।


6 महीने 8 समय मे 608 जीव…ऐसा विधान है।

  1. मुक्त जीवों की संख्या
    सर्वार्थसिद्धि/10/9/473/3संख्या जघन्येन एकसमये एकः सिध्यति । उत्कर्षेणाष्टोत्तरशतसंख्याः ।= संख्या की अपेक्षा−जघन्य रूप से एक समय में एक जीव सिद्ध होता है और उत्कृष्ट रूप से एक समय में 108 जीव सिद्ध होते हैं । ( राजवार्तिक/10/9/13/647/25 ) ।

धवला 14/4, 6, 116/143/10सव्वकालमदीदकालस्स सिद्धा असंखेज्जदिभागे चेव, छम्मासमंतरिय णिव्वुइगमणणियमादो ।= सिद्ध जीव सदा अतीत काल के असंख्यातवें भागप्रमाण ही होते हैं, क्योंकि छह महीने के अंतर से मोक्ष जाने का नियम है ।

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