मैं जानता हूँ कि प्रश्न विकल्पों के लिए नही है, ज्ञान आदि शब्दों में इनकी घटना को लेकर है, लेकिन फिर भी इनसे कारकों का स्वरूप समझ में स्पष्ट रूप से आ जाता है।
यहाँ प्रथम तो बाह्य विकल्पों को दूर करने के लक्ष्य से ही इस पंक्ति का निर्माण हुआ है, और कह रहें हैं, कि
कर्ता- ज्ञायक
कर्म- ज्ञान
कर्ता- ध्याता
कर्म- ध्यान
करण- ज्ञान स्वभाव
सम्प्रदान- ज्ञायक की प्राप्ति
अपादान- यहां मेरे विचार से समयसार का ही अर्थ लेना हो जो ऊपर दिया गया है।
अधिकरण- ध्येय।
यदि इस प्रकार षट कारक घटित करतें हैं, तो मुझे कोई दोष प्रतीत नही हो रहा है। शेष विद्वज्जन समाधान करेंगें। @Sayyam जी