अनुभव, अनुभूति, परिणति

एक सहज जिज्ञासा है कि /-
अनुभव, अनुभूति, परिणति इन शब्दों का क्या भाव/अर्थ/अभिप्राय है?
:pray:

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परिणति तो पर्याय की क्रिया को कहेंगे। कोई भी पर्याय हो।

अनुभव माने श्रद्धा। अनुभूति माने उस अनुभव का ज्ञान में आना - शायद ऐसा है, लेकिन sure नही हूँ।

भाई! व्याकरण के जानकार तो आप हैं ही।
सभी शब्दों में से 2 का धातु भू समान है किंतु प्रत्ययों में अन्तर है, और एक का धातु नम् है।

दूसरी बात ये सभी पर्यायवाची हैं, सामान्य धर्म की अपेक्षा से, द्रव्यार्थिक नय से और शब्द नय से भी।

किन्तु इनके समभिरूढ़ एवं एवंभूत में अन्तर है। अर्थात् लेखक के अभिप्राय से एवं उसके वास्तविक शब्द विज्ञान से।

जैसा आप बनाना चाहें वैसा अर्थ निकल सकता है। और रही बात तीनों के साथ में किसी साहित्य में प्रयोग की तो ऐसा मेरे द्वारा देखा नहीं गया है।

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पर्याय की क्रिया को परिणति कहते है या पर्याय स्वयं गुण की क्रिया है?

पर्याय कर्म है। पर्याय बदलने का process (क्रिया) परिणति है।

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