म्लेच्छ खण्ड के मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु कितनी होती है
हेमवदवंसयाणं तहेव हेरण्णवंसवासीणं। मणुसेसु य मेच्छाणं हवदि तु पलिदोपमं एक्वंâ।।१११४।। पाँच हैमवतक्षेत्र हैं, उनमें जघन्य भोगभूमि है। पाँच हैरण्यवत क्षेत्र हैं, उनमें भी जघन्य भोगभूमि हैं। इनमें होने वाले भोग—भूमिजों की उत्कृष्ट आयु एक पल्य है। सर्वम्लेच्छ खण्डों में होने वाले, भोगभूमि के प्रतिभाग में होने वाले अथवा अन्तद्र्वीप में होने वाले कुभोगभूमि के मनुष्य—इन सब की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम प्रमाण है।
यहां भोगभूमि के प्रतिभाग से क्या आशय है
भोगभूमि को भोगभूमि प्रतिभाग भी कहते है , कर्मभूमि को कर्मभूमि प्रतिभाग भी कहते है
स्यंभूरमण दीप में कर्म भूमि है इसका विशेष वर्णन किस ग्रंथ से मिल सकता है
मेरी जानकारी के अनुसार तिलोयपण्णत्ति कार्तिकेयानुप्रेक्षा षट्खंडागम धवला त्रिलोकसार जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो गोम्मटसार जीवकांड/गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका राजवार्तिक टीका सर्वार्थसिद्धिआदि बहुतसे ग्रंथमे मुख्यतः अढाई द्वीप में स्थित पंद्रह कर्मभूमि अर्थात् पाँच भरत, पाँच ऐरावत और पाँच विदेह का ही वर्णन ज्यादातर संक्षेपमे ही प्राप्त होता है। और स्वयम्भूरमण द्वीप में कर्म भूमि का अलगसे विस्तारसे वर्णन तो कहीं उल्लेखित नहीं दिखाई देता है , षठ खण्डागम हरिवंशपुराण में आये हुए कुछ वर्णन इस तरहसे है