बीजाक्षर - "क्लीं" किसका वाचक है?

Related to भरतेश वैभव, Pg 200) - पदस्थ ध्यान (अपने शरीर में - माथा, कंठ, ह्रदय, नाभि, लिंग और पाद पर स्थित छह विकसित कमलो की कल्पना करके, इन कमलो में बीजाक्षरों का मोतियों के हार के समान लिखकर ध्यान करना )

ओं, ह्नीं - 5 परमेष्ठी
श्रीं - 24 तीर्थंकर
क्लीं - ?

बीजाक्षर - ओं ह्नां ह्नीं ह्नूं ह्नौं ह्नः हृ ह सः क्लीं क्लृ द्रा द्रीं द्रूं द्रः श्रीं क्षीं क्ष्वीं क्लीं र्हं अं फट्, वषट, सवौषट् घे घै यः ठः खः ह ल्व्र्यं पं वं यं झं तं थं दं

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Yah konsi pustak he?

Is pustak ki pdf mil sakti hai kya ?