क्षयोपशम का विभिन्न सन्दर्भ में अर्थ

क्षयोपशम की सामान्य परिभाषा यह है जो प्रवेशिका में लिखित है:

वर्तमान निक्षेक के सर्वघाति स्पर्द्धकों का उदयभावी क्षय तथा देशघाती स्पर्द्धकों का उदय और आगामी काल में उदय आने वाले निषेकों का सदवस्थारूप उपशम ऐसी कर्म की अवस्था को क्षयोपशम कहते हैं।

इसमें “उदयभावी क्षय”, “देशघाती स्पर्धक”, “सदवस्थारूप उपशम” – इनका अर्थ समझाइये और मुख्यतः उपरोक्त पूरी परिभाषा को सरल भाषा में समझाइये।

क्षयोपशम को अलग अलग गुणों में भी लेते है:

  • श्रद्धा गुण: जब मिथ्यात्व का उपशम हो और सम्यग प्रकृति का उदय होता है। इतना समझ आता है।
  • ज्ञान गुण: ज्ञान का क्षयोपशम भी कहा जाता है। ज्ञान में क्षयोपशम का अर्थ क्या है?
  • चरित्र गुण: यहाँ पर भी क्षयोपशम का अर्थ समझाइये।

क्षयोपशम का अगर संधि विच्छेद करें तो “क्षय” + “उपशम” होता है तो सामान्य अर्थ ऐसा समझ आता है की कुछ का क्षय और कुछ का उपशम। लेकिन विशेष रूप से अर्थ ख्याल में नहीं आता है।

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https://drive.google.com/file/d/1_hTImX_BO9L3Nry2_1OtT5XHbddfqLSk/view?usp=drivesdk

क्षयोपशम भाव चर्चा , इस पुस्तक का गहराई से अध्ययन करें ।

उदय का अभाव होना ही क्षय है ।अर्थात उदय नही होना ही क्षय है ।

अर्थात जो जीव के गुणों के एकदेश घात में निमित्त बनते हैं । जैसे - मति-ज्ञानावरण कर्म प्रकृति ।

उदय में नही आ रहे हैं, परन्तु सत्ता में बने हुए है अर्थात भविष्य में नियम से उदय में आएंगे । इसलिए वर्तमान में उनका उपशम है ।

पूरी परिभाषा के अनुसार देखें , तो वर्तमान में मात्र किञ्चित शक्ति वाले कर्मों का उदय है , और कुछ अवसर प्राप्त है , किसी शुभ कार्य को करने का …।

वर्तमान में देशघाती स्पर्धकों का उदय होने से ज्ञान गुण का अंश छिपा है , तथा सर्वघाती कर्म प्रकृतियों के कार्यानुसार कुछ अंश ज्ञान का प्रकट है ।

कषाय के आधार से घटित हो जाएगा ।

इसकी परिभाषा ही है /-
वर्तमान कालीन सर्वघाती स्पर्धकों का उदयाभावी क्षय , भविष्यकालीन सर्वघाती स्पर्धकों का सद्ववस्तथारूप उपशम तथा वर्तमानकालीन देशघाती स्पर्धकों का उदय = क्षयोपशम ।
जैसे - पानी के ग्लास में स्थूल गंदगी नीचे दब जाए और हल्की-हल्की गंदगी घुली रह जाये , उस प्रकार की अवस्था होती है , क्षयोपशम भाव की ।

धन्यवाद।

  • एकदेशी और सर्वघाती की शास्त्रीय परिभाषा क्या है?
  • देशघाती स्पर्धक क्या है? शास्त्रीय परिभाषा कहीं पर उपलब्ध है?

इस परिभाषा के हिसाब से कुछ अंश छिपा है और कुछ अंश प्रकट है। तो इसे क्षयोपशम (क्षय: पूर्ण नाश, उपशम: दबा हुआ) क्यों कहते है?



● विशेष गोम्मटसार आदि ग्रंथों का अध्ययन करें ।

~ क्योंकि ये दोनों ही अवस्था हो रही है इसमें ।

विशेष

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