सुदृष्टितरंगनी जी ग्रंथ में लिखा है कि दीक्षा के आठ वर्ष पहले तीर्थंकर कर्म बाँधा हो उनके तीन कल्याणक होते है। क्यों?

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8 वर्ष ही क्यों कहा , इसका logic तो ख्याल में नही है , परन्तु यदि दीक्षा के पूर्व यदि तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध होगा तो तप-ज्ञान-मोक्ष ये तीनो कल्याणक मनाये जाएंगे ।

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शायद ८ वर्ष कहने का तात्पर्य जन्म के बाद बांधी इस बात की और संकेत करने का है।

जैसे - किसी का अभी जन्म हुआ और वो अंतर मुहूर्त बाद तीर्थंकर प्रकृति बांधे और उसके आठ वर्ष बाद दीक्षा ले ले तो उसके तप - ज्ञान - मोक्ष ऐसे तीन कल्याणक होंगे।

आठ वर्ष शायद इसलिए कहा क्युकी दीक्षा लेने की minimum age ८ वर्ष एक अंतर मुहूर्त है।

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अभी जन्मे हुए बच्चे को केवली का समागम और सोलहकारण भावनाओ का चिंतवन करना उतनी विशुद्धि होना कैसे संभव है ?

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