स्वप्न अवस्था के परिणामो का विवेचन किस ग्रंथ में है?
तत्त्वार्थसूत्र जी की टीकाओं में ,जहाँ दर्शनावरणीय कर्म के संबंध में विचार किया हो ।
● कुछ बिंदु ।-
- यदि सुप्त अवस्था मे ही जीव का मरण हो जाये , तो वह उन्ही परिणामों में मृत कहलायेगा , जो उसके उस समय थे । ( clear )
- स्वप्न में भी हमारे वही परिणाम होंगे , जो हमारे दिन भर से चले आ रहें हैं , कोई विशेष या अलग परिणाम नही होंगे।
- जागृत अवस्था के परिणामों को बुद्धिपूर्वक कहा है ,जबकि स्वप्नावस्था को तो अर्धमृतक की अवस्था कहा है। अतः फल समान नही कह सकते ।
विचार करें ।
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बहुत सही । धन्यवाद
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क्या स्वप्न अवस्था में आयु बंध होता है?
जी हां , बिल्कुल हो सकता है ।
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