वर्तमान में कोरोना महामारी के इस दुषम समय में लोगों का मंदिर न जाना हितकारी ही है। कुछ लोग अभी भी इसकी अवमानना करके पाप का ही बंध कर रहे हैं।
बताने या समझाने पर कुतर्क करते हैं। यह बिल्कुल उचित नहीं है। परिस्थिति व विवेक अनुसार कार्य करना ही योग्य होता है।
प्रक्षाल-अभिषेक को जाने वाले पुरुषों को छोड़कर अन्य सभी को इस समय में न जाने पर ध्यान देना चाहिए। छल-कपट, बचते-छुपाते मंदिर जी चले भी गए तो बाहरी भय व उपयोग स्थिर नहीं रहेगा। इससे अच्छा है कि अपने घर में ही पाठ, भावपूजा आदि करने का यत्न करें, स्वाध्याय आदि को बड़ाने का प्रयत्न करें। इस बीमारी को गंभीरता से लें और प्रीकोशन का ध्यान रखें। आत्महित में समय लगाएं। विकथा में न उलझे ऐसा यत्न करें।
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