केवली के नाना प्रकार के औदयिक भाव कौनसे है और किस कारण से होते है? दण्ड-कपाट क्या है?

केवलज्ञान होने के बाद जीव शुभ अशुभ भाव से रहित है।
यहाँ पर औदायिक भाव मे योग की अपेक्षा लेना है।जैसे

  1. किसी केवली की दिव्यध्वनि पृथक्त्व वर्ष तक खीरी और किसी की हजारों सालों तक खीरी
  2. किसी का विहार ज्यादा हुआ किसी का कम हुआ
  3. किसीको समुदघात हुआ किसीको नही हुआ ।

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दण्डकपाठ ?
दण्ड-कपाट*
औदयिक *
I’m just correcting spellings , because there happens to be a complete different term, just at a matra change. For eg
अगम्य आगम्य (आकर)
दिन दीन

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thanks