सबसे ज्यादा योग अगर केवली के है तो उनको आश्रव भी सबसे अधिक होगा। किस प्रकार ?
अरिहंत के ईर्यापथ आश्रव (कषाय रहित) होता हैं, पर साम्प्रायिक आश्रव (कषाय सहित) नहीं होता हैं| और योग अधिक होने पर ईर्यापथ आश्रव भी अधिक हैं , पर कषाय नहीं होने से वे बंध को प्राप्त नहीं होते हैं|
इसके लिए उदाहरण भी इसी प्रकार दिया जाता है, कि जैसे एक व्यक्ति ने अपने शरीर पर तेल लगाया हुआ हो तो उसके शरीर पर मिट्टी आदि आसानी से चिपकेंगी ही ,परन्तु जिसने शरीर आदि कोई भी चिकन पदार्थ नही लगा रखा है , उसके शरीर पर मिट्टी लगेगी परन्तु चिपकेंगी नही ।
ऐसे ही अरिहंतो के योग होने से आस्रव होगा परन्तु उनके बंधने के लिए अंतरंग में कोई ( स्निग्धता - रुक्षता ) राग-द्वेष नहीं है , अतः प्रकृति - प्रदेश बन्ध तो हुआ परन्तु स्थिति - अनुभाग बन्ध नही हुआ ।
उनको सबसे ज्यादा योग क्यों होता है।?
अनंतवीर्य के कारण आत्मप्रदेशों का परिस्पन्दन सबसे ज्यादा योग की प्रवृत्ति उसी के कारण आस्रव ।
अनंतवीर्य तो सिद्ध भगवान के भी है। तो उनको भी ।।।।।।।।।।। ?
भाईसाहब, बन्ध के हेतू 2 ही कहें हैं, आगम में ।
- कषाय
- योग
इन दोनों का ही सद्भाव नही है , सिद्ध परमात्मा का । अतः बन्ध होने का कारण ही विद्यमान नही है ।