घाति कर्म की कुल ४७ प्रकृति पढ़ने में आती हैं | जिनका अरिहंत अवस्था में नाश हो जाता है |
पर देव-शास्त्र-गुरु पूजन की जयमाला में ६३ प्रकृति का नाश बताया गया है | तो ये ६३ प्रकृति किस अपेक्षा से आयी हैं ? और वे ६३ प्रकृति कौनसी हैं ?
घाति कर्म की कुल ४७ प्रकृति पढ़ने में आती हैं | जिनका अरिहंत अवस्था में नाश हो जाता है |
पर देव-शास्त्र-गुरु पूजन की जयमाला में ६३ प्रकृति का नाश बताया गया है | तो ये ६३ प्रकृति किस अपेक्षा से आयी हैं ? और वे ६३ प्रकृति कौनसी हैं ?
47 प्रकति के साथ नाम कर्म की 13 उत्तर प्रकि एवं आयु कर्म की 3 प्रकति भी नष्ट होती हैं, ऐसे 63 हो जाती हैं
नाम कर्म की कौनसी १३ प्रकृति नष्ट होती हैं ? कृपया बताएं |
मेरे अनुसार देवायु, नरकायु और तिर्यंचायु ऐसे ३ आयु प्रकृति नष्ट होगी आपके कहे अनुसार | क्या ऐसा मेरा समझना ठीक है ?
Haan aisa hi hai