जब** एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का करता नही होता।**
तो पंचम काल( काल द्रव्य) जीव द्रव्य के मोक्ष जाने में बाधक आरोपित होता है?
कृपया समाधान करें।
जब** एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का करता नही होता।**
तो पंचम काल( काल द्रव्य) जीव द्रव्य के मोक्ष जाने में बाधक आरोपित होता है?
कृपया समाधान करें।
काल बाधक नहीं सहायक है
हर जीव की काल लब्धि अलग अलग है
This may be understood by Syadvad or Vyavhar and Nischay Naya.
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यह उपचरित निमित्त-प्रधान कथन है।
वास्तविक कथन - जीवों की अयोग्यता
{जैसे - आपकी बुद्धि में उठे प्रश्न का समाधान मैं कैसे कर सकता हूँ? अब, जो भी उत्तर आप इस बात का दें वही उत्तर आपके प्रश्न का है।}
प्रश्न में ही उत्तर समाहित है , आपने कहा बाधक आरोपित होता है , जैन दर्शन में संबंधों की भी अनेक प्रकार से चर्चा प्राप्त है ,
यथा - 1. कर्ता-कर्म संबंध
2. निमित्त-नैमित्तिक संबंध
यहां निमित्त-नैमित्तिक संबंध है , कर्त्ता-कर्म नही ।
निमित्त-नैमित्तिक तो ऐसा भी है कि बादल आसमान में गरज रहे है , और वैराग्य जीव को हो गया।
A question arose which is not as related as these…
जब कोई कार्य होता है तो उसमें दोनों कारण होते है,निमित्त और उपादान - ऐसा नियम है।
पर ऐसा भी कोई नियम है क्या की अंतरंग और बहिरंग दोनों निमित्त का उपस्थित होना आवश्यक है?
और यदि ऐसा नियम है तो ’ द्रव्य में परीनमण’ इस कार्य में उपादान कारण तो हुआ उसकी स्वयं की परिनमन करने की शक्ति (द्रव्यत्व गुण)
और बहिरंग कारण काल द्रव्य, पर अंतरंग निमित्त क्या होगा?