क्या तीर्थंकरों के पिच्छी कमंडल होते हैं?
यदि नहीं,तो पंचकल्याणक इत्यादि में तीर्थंकरों के तप कल्याणक में क्यों प्रयोग करते हैं?
और यदि हां, तो उन्हें कमंडलु और पिच्छी की तो जरूरत ही नहीं है ,
क्योंकि उनके मल मूत्र आदि का निहार ही नहीं होता है तो उन्हें कमंडलु की जरूरत नहीं है ,
तथा वे तो जमीन से 4 उंगली ऊपर चलते हैं तो जीव हिंसा की तो बात ही नहीं ।
कृपया समाधान करें।
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अब आप यह मत पूछना कि मोक्षकल्याणक के दिन प्रतिमा गायब क्यू़ं नहीं होती।
Kuch चीज़े symbolic होती हैं। पीछि और कमंडल मुनि चर्या को प्रदर्शित करते हैं।
हर जगह तर्क लगाना उचित नहीं । भाव समझने का प्रयास करें।
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