पंडित टोडरमल व्यक्तित्व और कर्तुत्व
उपरोक्त दोनो books में गिरी गिरनार पर दिगम्बर और श्वेताम्बर के बीच हुए विवाद की बात बताई गई है परंतु आचार्य कुंद कुंद और उनके टीकाकार में बताया है कि देवी प्रगट हुई और कहा दिगम्बर सत्य है और
पंडित टोडरमल व्यक्तित्व और कर्तुत्व में कहा है की देवी प्रगट हुई और कहा श्वेताम्बर मत सत्य है
कुन्दकुन्द स्वामी ने अम्बिका देवी से बलात सत्य बुलवाया था आदि दिगम्बरा इसलिये मूल परम्परा में ब्लॉतगने लगाया जाता है और मूर्ति की प्रस्तति पर भी लिखा जाता है
वस्तु स्वरूप के निरूपण को तर्क की कसौटी पर कसकर देखना ही योग्य है, साथ ही कथनों में प्रमाण से बाधा का अभाव और परस्पर कथनों में भी बाधा का अभाव उनके समीचीन होने के द्योतक है।
जैन दर्शन में व्यक्ति को नहीं, वस्तु को प्रमाणता का आधार कहा है।