संस्थान और सहनन

संस्थान और सहनन में अंतर स्पष्ट कीजिए एवम् पंचम काल में किस संस्थान और सहनन वाले जीव पाएं जाते हैं ?

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Outsourced : गोम्मटसार कर्मकाण्ड गाथा 27-32

  • संस्थान शरीर के shape से संबंधित होता है और सहनन शरीर की आंतरिक बनावट से।
  • संस्थान के प्रकार ― समचतुरस्त्र संस्थान, न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान, स्वाति संस्थान, कुब्जक संस्थान, वामन संस्थान, हुंडक संस्थान।
  • सहनन के प्रकार ― वज्रवृषभनाराच, वज्रनाराच, नाराच, अर्धनराच, कीलित, असम्प्राप्तसृपाटिका सहनन।
  • वृषभ - बेठन (जिससे हड्डी जुड़ती है), नाराच - कीली, सहनन - हड्डी
  • इस अनुसार, निम्न chart से क्रमानुसार सहनन को समझना चाहिए ―

इनका विशेष ज्ञान करने हेतु गोम्मटसार कर्मकाण्ड जी की गाथा 27-32 का अध्ययन करना चाहिए जहाँ कौनसा सहनन वाला जीव किस नरक या स्वर्ग तक जा सकता है उसका विश्लेषण है।

― पंचम काल में सारे संस्थान हो सकते हैं।
― पंचम काल में अंत के तीन सहनन हो सकते हैं।

(कोई भूल हो तो बुधजन सही करें)

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संस्थान - सं + स्थान = अंगों का यथास्थान होकर निश्चित आकर रूप होना। जैसे - संचतुरस्र संस्थान में शरीर का आकार सुनियोजित एवं सुडौल होता है। (सम् + स्था + ल्युट् = संचय, समष्टि, रूप ,रचना, आकृति, आवास-स्थान, इत्यादि)

संहनन - सं + हनन = अंगों का सघन होकर शक्तिशाली होना। जैसे - वज्र-वृषभ-नाराच संहनन में शरीर के प्रत्येक अवयव वज्र (पत्थर) से रक्षित होते हैं। (सम् + हन् + ल्युट् = दृढ़ता, सघनता, सामर्थ्य)

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