जीव का आयु कर्म

यदि किसी को मान लो शुगर हो जाये और डॉक्टर शुगर से परहेज बताए तो उस परहेज से उसका आयु कर्म बढ़ जाएगा या नही परहेज करने से आयु कर्म में अपकर्षण हो जाएगा। क्योंकि आयु तो प्रत्येक जीव की निश्चित है फिर वो चाहे परहेज करें या न करे उसका जीवनकाल निश्चित है । मेरा प्रश्न है परहेज करने से कोई फायदा है क्या या न करने में कौन सी हानि है??

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There are only 2 principles in this context as per the scriptures -

Rule 1: Age can never increase. If a soul is born with 100 years then he will die at 100 or below but never more than 100.

Rule 2: Age can decrease due to the fruits of sinful karma.

Abstinence is always beneficial for the body. Let’s assume that this diabetes disease is intended to decrease the age of the body from a former 100 years to a latter 80 years then active management through purushartha can reduce the amount of loss of years of the body’s life from the present 20(100-80) to maybe 5, 10 or 15 years.

Decrease in age in current life is caused by doing sinful activities. However do note that decrease in fixed age happens only in human & animal life.

Hellish & heavenly beings have to live for their full age. No more. No less.

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बिस्तर पर दवाई लेकर पड़े रहने और बंधी आयु भोगने से अच्छा है कि पहले ही परहेज कर लें।

केवल बंंधी आयु निश्चित सुनकर इतनी स्वच्छंदता आ गई , जब आपको मालूम पड़ेगा कि सब कुछ निश्चित है, फिर क्या होगा ??

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आयु काल निश्चित होने में और इस पर्याय में मिले शरीर की सम्भाल रखने में अंतर है। हो सकता है 80-100 साल की आयु होने में परहेज किये जाना निमित्त हो।

और जब कोई रोग लगे तब आयुकर्म और शरीर मेरा नही है इसमें जो होना है होता रहे यह बात ध्यान रहे यह ज़रूरी नहीं। अतः उस समय दुखी होने और अभक्ष्य खाने से अच्छा पहले से संभाल रखना ज़रूरी है।

आयु बंधन और क्रमबद्धता के साथ निमित्त नैमित्तिक सम्बधन ध्यान रखना आवश्यक है।

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