डॉ. वीरसागर जी के लेख

12. क्यों कहते हैं क्षमावाणी को महापर्व ? :arrow_up:

भारत एक उत्सवप्रधान देश है | मन, तन, घर, समाज,राष्ट्र – सभी की समृद्धि के लिए यहाँ अनेकानेक उत्सवों, त्योहारों या पर्वों की स्थापना की गई है | (उत्सवा: समाजाश्च वर्धन्ते राष्ट्रवर्धना: - वाल्मीकि रामायण) वैसे तो सभी पर्व महत्त्वपूर्ण होते हैं, बशर्ते कोई उनका दुरुपयोग न करे; किन्तु क्षमावाणी को ‘महापर्व’ या ‘पर्वराज’ कहा जाता है, क्योंकि उसके अनेक कारण हैं | यथा –

  1. अन्य पर्वों पर हम अपने मित्रों को याद करते हैं, उनके घर जाते हैं, उनसे गले मिलते हैं; किन्तु आज क्षमावाणी के दिन हमें अपने शत्रुओं को याद करना होता है, उनके घर जाना होता है, उनसे गले मिलना होता है |
  2. अन्य पर्व किसी न किसी व्यक्ति विशेष या घटना विशेष से जुड़े हुए होते हैं, किन्तु क्षमावाणी पर्व का सम्बन्ध न किसी व्यक्ति विशेष है न किसी घटना विशेष से |
  3. अन्य पर्व किसी धर्मविशेष, जातिविशेष, लिंग-विशेष या देश-प्रदेशविशेष के होते हैं, किन्तु क्षमावाणी पर्व किसी भी धर्मविशेष, जातिविशेष लिंगविशेष या देश-प्रदेशविशेष का नहीं है, भले ही इसे एक धर्म विशेष (जैन) लोग ही अधिकतर मनाते हों, पर यह सभी का है, सभी के लिए है | इसमें धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र आदि का कोई बंधन नहीं है |
  4. क्षमावाणी पर्व का सम्बन्ध मनुष्य मात्र तक भी सीमित नहीं है, अपितु सभी जीवों से है, प्राणिमात्र है | क्षमावाणी के अवसर पर विश्व के सभी सूक्ष्मतम जीवों के प्रति क्षमाभाव धारण करते हुए उन सबसे क्षमायाचना की जाती है |
  5. क्षमावाणी पर्व सभी धर्म-सम्प्रदायों के भी अनुकूल है, निर्विवाद है, इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं है | सभी के धर्म-ग्रन्थ सिद्धांत रूप से क्षमा को मान्य करते है |
  6. क्षमावाणी विशुद्ध आत्मकल्याण का पर्व है | इसका सीधा-सच्चा संदेश है कि क्रोधादि विकारों का त्याग करो और क्षमादि शुद्ध भावों को धारण करो |
  7. अन्य अनेक पर्वों पर लोग प्रदूषण फैलाते हैं, पर क्षमावाणी के अवसर पर ऐसा नहीं होता | क्षमावाणी तो बल्कि बाह्य प्रदूषण के मूल कारण मानसिक प्रदूषण को भी दूर करता है |
  8. अन्य पर्वों का सम्बन्ध अच्छा-अच्छा खाने-खेलने आदि से है, पर यह तो संयम और अध्यात्म का पर्व है |
  9. अन्य पर्व अस्थाई हैं, पर क्षमावाणी एक शाश्वत पर्व है | जैन पुराणों के अनुसार यह अनादि काल से मनाया जाता रहा है और अनंत काल तक मनाया जाता रहेगा |
  10. अन्य पर्व पराधीन हैं, उन्हें मनाने के लिए दूसरे की आवश्यकता होती है, पर क्षमावाणी एक स्वाधीन पर्व है, उसे मनाने के लिए दूसरे की अनिवार्यता नहीं होती | कोई भी प्राणी एकांत में बैठकर इसे अच्छी तरह मना सकता है |
    इस प्रकार हम देखते हैं कि क्षमावाणी एक सार्वभौमिक, सार्वकालिक और सार्वजनिक पर्व है | सार्वजनिक ही नहीं, सार्वजैविक पर्व है| वह समस्त विरोधी जीवों से भी प्रेम करने की कला सिखाकर विश्वमैत्री की भावना पैदा करने वाला अनुपम पर्व है,महापर्व है |
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