किस गुणस्थान मे कितनी प्रकृति का संवर होता है
और प्रमाण किस ग्रन्थ में मिल सकता है
संवर के लिए प्रकारान्तर से एक नाम है - बन्ध-व्युच्छित्ति एवं उदय-व्युच्छित्ति
(जिनेन्द्र सिद्धांत कोश में भी मिल जाएगा एवं गुणस्थान विवेचन के परिशिष्ट में भी मिल जाएगा)
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