गणधर बनने के लिए नाम कर्म

तीर्थंकर नाम कर्म की प्रकृति का बंध होने से और सोलह कारण भावना भाने से तीर्थंकर बनते हैं | गणधर बनने के लिए ऐसी कौनसी भावना भायी जाती है ? उसमें कौनसी कर्म प्रकृति का बंध होता है |

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I don’t think there is any specific naam karma or bhaavna as such which leads to a soul becoming a gandhar.

If someone has any scriptural example kindly let me know as well.

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जैसे मुनि संघ में आचार्य,उपाध्याय आदि की पदवी योग्यता से मिलती है उसी प्रकार गणधर आदि की पदवी भी उसी प्रकार मिलती है। इसमे ज्ञानावरण के विशेष क्षयोपशम की आवश्यकता चाहिए।
गणधर के लिए कोइ विशेष नामकर्म की आवश्यकता नही है।
Credit.pt.sachinji mamglayatan

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तीर्थंकर प्रकृति का उदय उस जीव को 13वे गुणस्थान में बननेवाली विशिष्ट बाह्य अवस्था का द्योतक है, न कि उनके 4 घातिया कर्मों के क्षय से, किन्तु गणधर पद तो 3 कषाय चौकड़ी के अभाव स्वरूप अन्तरंग अवस्था का द्योतक है।

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