जैन/श्रमण परंपरा वैदिक परंपरा से अधिक प्राचीन

श्रमण परंपरा वैदिक परंपरा के पूर्व में भी थी। यह बात अनेकों पुरातत्वविदों ने तथा प्राप्त एतिहासिक तथ्यों के माध्यम से सिद्ध करने की कोशिश की गई है।
लेकिन इस संदर्भ में आज भी अनेकों दार्शनिक एकमत नहीं हैं।
यहाँ इन विषय को लिखने का एक मात्र प्रयोजन है कि हम अधिक से अधिक शोधकर्ताओं के शोध के आधर से प्रमाण इकठ्ठे करें।
स्रोत विदेशी पुरातत्वविद, वेद, गीता, महाभारत आदि अनेक ग्रंथ हो सकते हैं।

कोशिश करें कि मूल स्रोत की पूरी जानकारी के साथ ही प्रमाण प्रस्तुत किया जाए।

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आपके द्वारा बताए गए प्रमाण ऐसे व्यक्तियों ने दिए है जो सत्ता और समाज में लोकप्रिय थे , उनके कथन यदि सत्य भी हो तो भी जैन धर्म की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए इनका रिफरेंस बहुत ही कमज़ोर है। और तरह के व्यक्ति किसी भी समाज को खुश करने हेतु उनके पक्ष में कह सकते है।
हमे चाहिए की जिस प्रकार आचार्यकल्प पंडित टोडरमल जी ने मोक्षमार्ग को इतनी सुलभता से क्रमिक रूप से बताया है उसी तरह हमारे पुरातात्विक साक्ष्यों उनके काल संबंधित जानकारी मिल सके। जिससे जैन धर्म में आस्था रखने वाले अपनी आस्था को और मजबूत कर सके।
यदि ऐसी जानकारियां पहले से ही उपलब्ध है तो कृपया उसे प्रेषित कीजिए।

आने वाले समय में नई पीढ़ी को इस तरह के साक्ष्यों की अवश्य जरूरत पड़ेगी।
गूगल पर ढूंढने पर कुछ जानकारी तो मिल जाती है पर वह शास्त्रों ke द्वारा मिलती है, लेकिन शिलालेखों व लिपियों तथा अत्याधिक प्राचीन साक्ष्यों का हवाला नहीं मिलता या सुलभता से प्रेषित नही है।

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:pencil2::pencil2: न्यायालयों के निर्णय :pencil2::pencil2:

:point_down: हमारा जैन धर्म बहुत प्राचीन धर्म है इसके कुछ प्रमाण👇

:closed_book: 1927-- मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा air 1927 मद्रास 228 मुकदमें के निर्णय में " जैन धर्म को स्वतंत्र, प्राचीन ब ईसा से हजारो वर्ष पूर्व का माना ।"

:green_book: 1939 – बम्बई उच्च न्यायालय ने Air1939 बम्बई 377 मुकदमें के निर्णय में कहा कि " जैन धर्म वेदों को स्वीकार नही करता हैं, श्राद्धों को नही मानता है ब अनुसंधान बताते हैं कि भारत में जैन धर्म ब्राह्राण धर्म से पहले था।"

:blue_book: बम्बई सरकार ने 19 अगस्त, 1948 को अपनी अधिसूचना में इस तथ्य को स्वीकार किया कि “यद्दपि जैनों पर हिन्दू लॉ लागू है परंतु जैनों को हिन्दुओ के रूप में बर्णित नही किया जा सकता” ।

:orange_book: 1951-- बम्बई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.सी. छगला और न्यायमूर्ति गजेन्द्र गड़कर ने याचिका CWJC 91/1951 पर यह निर्णय दिया कि "हरिजनों को जैनों के मंदिरों में प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है क्योकि बे हिन्दू मंदिर नही है, यह विदित है कि जैन हिंदुओं से भिन्न मतावलंबी हैं "

:notebook:1954 – उच्चतम न्यायालय ने AIR 1954 SC 282 के निर्णय में माना कि " भारत में जैनधर्म व बौद्ध अपनी पहचान रखते हैं व वैदिक धर्म से भिन्न हैं । "

:notebook_with_decorative_cover: 1958 – उच्चतम न्यायालय ने केरल शिक्षा बिल मामले में कहा कि " जैन समाज अल्पसंख्यकता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है।"

:ledger:1963-- उच्चतम न्यायालय ने 649 ( V50 C101) निर्णय में कहा था की हिन्दू मुस्लिम ईसाई व जैनों में ब्राह्राण, बनिया ब कायस्थ समुदाय के अलावा सभी समुदायों को सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े माना गया है।

:closed_book:1968 – कलकत्ता उच्च न्यायालय ने AIR 1968 कलकता 74 के निर्णय में कहा कि " जैन हिन्दू नही हैं केवल उनके फैसले हिन्दू लॉ के अनुसार किये जाते हैं ।

:blue_book: 1968-- उच्चतम न्यायालय ने 74 (VSSC14) के निर्णय में " जैनों को हिन्दू नही माना।"

:orange_book:1975-- उच्चतम न्यायालय ने AIR 1975 CW96 के निर्णय में "जैनों को दिल्ली में अपने शिक्षण संस्थानों का प्रबंधन करने का निर्णय दिया था।

:green_book:1976 – दिल्ली उच्च न्यायालय ने AIR 1976 दिल्ली 207 के निर्णय में कहा था " संबिधान का अनुच्छेद 25 जैनों को स्वतन्त्र रूप से मानता है जो की सर्वोच्च नियम है" ।

:closed_book: 1993-- उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद मुकदमें के निर्णय में (1993,AIR 317) “जैनधर्म को अन्य अल्पसंख्यक धर्म की तरह हिन्दू धर्म से भिन्न माना था” ।

:blue_book:1995 – उच्चतम न्यायालय ने AIR 1975, SC 2089 के निर्णय में माना था की —" भारत में बौद्ध व जैन धर्म जाने पहचाने धर्म हैं जो ईश्वर के होने में विश्वास नहीं रखते।"

:notebook: 2003 – उच्चतम न्यायालय ने AIR 2003 SC 724 में कहा कि " राष्ट्रीय गान में जैनों को प्रथक रूप से दिखाया गया है।"

:blue_book:2006 – भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एस.बी. सिन्हा और श्री दलवीर भण्डारी जी की खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि " यह अविवादित तथ्य है कि जैनधर्म हिन्दुधर्म का हिस्सा नही हैं।" ( दैनिक हिन्दुतान , नई दिल्ली 24.08.2006

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