नोकर्म के उदाहरण


अनुभव प्रकाश

स्वाध्याय में बताया गया कि नोकर्म में मकान आदि संयोग नहीं है तो यहाँ शरीरादि में और क्या लिया गया है?

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सामान्यतः शरीरादिक को नोकर्म में ही गर्भित करते है, अब स्वाध्याय में वक्ता ने किस अभिप्राय से ऐसा कहा अथवा क्या कहना चाहते थे ये वे ही बता पाएंगे…

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प्रश्न यह था कि मकान नोकर्म में नहीं आते ऐसा बताया गया। और यहाँ (शरीरादि) ऐसा लिखा तो शरीर+आदि में आदि का मतलब क्या??

समाधान भी हो गया उसमे आया कि शरीर+आदि मतलब मन ,वचन,काय इसलिए आदि कहा।

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मकानादि तो संयोगी के भी सहयोगी(संयोग) है

समयसार में “मिश्र जीव” आभूषणादिसहित स्त्री को लिया
तथा
पुरूषार्थसिद्ध्युपाय में “मिश्रजीव” सम्यक् मिथ्या पर्याय सहित जीव को लिया है
अतः अपेक्षा समझना ही उपाय है।

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