भोजनादि पदार्थ कौन से पुद्गल / वर्गणा की पर्याय

भोजन के पदार्थ वर्गणाओं में से कौन से पुद्गल की पर्याय रूप हैं ? आहार वर्गणा का कोई सम्बन्ध है ?

कोष में वर्गणा के ये 23 भेदों के नाम दिए है -

वर्गणा के २३ भेद

ध.१४/५, ६, ९७/गा.७-८/११७ अणुसंखासंखेज्जा तधणता वग्गणा अगेज्झाओ । आहार-तेज-भासा-मण-कम्मइयध्रुयक्खंधा ।७ । सांतरणिरंतरेदरसुण्णा पत्तेयदेह ध्रुवसुण्णा । बादरणिगोदसुण्णा सुहुमा सुण्णा महाखंधो ।८। = अणुवर्गणा, संख्याताणुवर्गणा, असंख्याताणुवर्गणा, अनन्ताणुवर्गणा, आहारवर्गणा, अग्रहणवर्गणा, तेजस्‌वर्गणा, अग्रहणवर्गणा, भाषावर्गणा, अग्रहणवर्गणा, मनोवर्गणा, अग्रहणवर्गणा, कार्मणशरीरवर्गणा, ध्रुवस्कन्धवर्गणा, सान्तरनिरन्तरवर्गणा, ध्रुवशून्यवर्गणा, प्रत्येकशरीरवर्गणा, ध्रुवशून्यवर्गणा, बादरनिगोदवर्गणा, ध्रुवशून्यवर्गणा, सूक्ष्मनिगोदवर्गणा, ध्रुवशून्यवर्गणा और महास्कन्धवर्गणा । ये तेईस वर्गणाएँ हैं … (ष.ख./१४/५, ६ । सूत्र ७६-९७/५४/११७ तथा सूत्र ७०८-७१८/५४२-५४३) । (ध.१३/५, ५, ८२/३५१/११); (गो.जी./मू./५९४-५९५/१०३२) ।

इसी से संबंधित एक और प्रश्न - हमारे साथ जितने पुद्गल द्रव्यों का संयोग है (कपड़े, mobile, etc.), इन्हें भी किसी वर्गणा की ही पर्याय कहेंगे? कौन सी?

पुद्गल सामान्य की पर्याय - इसप्रकार कुछ कहा जा सकते है या कोई न कोई वर्गणा की पर्याय रूप ही पुद्गल होंगे ?

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हमको जो भी पुद्गल चक्षु इन्द्रिय के द्वारा दिखाई देता है, वह सभी आहार वर्गणा रूप ही है।
किसी प्रवचन में से ऐसा सुना हुआ याद है। प्रमाण मिलते ही प्रेषित करता हूं।
यह इसीलिए भी लगता है क्यूंकि जो भी हमको दिखाई देता है वह किसी ना किसी मनुष्य या तिर्यंच जीव का शरीर है (वर्तमान का असमान जातीय द्रव्य पर्याय के साथ वाला या उन्हीं के द्वारा भूतकाल में छोड़ा हुआ शरीर)। तथा मनुष्य और तिर्यंच के चाक्षुस शरीर की रचना आहार वर्गणा के द्वारा ही है।

आहार वर्गणा रूप ही है।

ये भी आहार वर्गणा रूप ही है।

Note: तिर्यंच जीव के शरीर में एक इन्द्रिय से लेकर पंचेंद्रिय तक सभी को ग्रहण करना अतः पृथ्वी जल अग्नि वायु और वनस्पति भी शामिल है।

आहार वर्गणा- कोश
औदारिक, वैक्रियक और आहारक शरीरों के (योग्य) जिन द्रव्यों को ग्रहण कर औदारिक, वैक्रियक और आहारक शरीर रूप से परिणमाकर जीव परिणमन करते हैं, उन द्रव्यों की आहारद्रव्यवर्गणा संज्ञा है ।

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सभी नो कर्म पदार्थ आहार वर्गणा से बने हुए स्कंध हैं, ऐसा मैंने भी सुना हुआ हैं ।

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