लीनता की एक धारा में ही मिथ्यात्वी से सातवा गुणस्थान आ जाता है मेरा ये कहना है, उसमे अंतर नही पड़ता लेकिन चतुर्थ और पंचम गुणस्थान बीचमे नही आते ऐसा कोई प्रमाण मिले तो कृपया बताएं, क्योकि क्रम का उलंघन कैसे हो!! ?
एक उदाहरण बताना चाहूंगा,
जीव सम्यक दर्शन से पहले तीव्र कषाय से मंद कषाय में जरूर आता है, तीव्र कषाय से सीधा निर्विकल्प नही हो सकता
वैसे ही चौथा और पांचवा गुणस्थान आता है और उसी लीनता में सातवा गुणस्थान मुनिपना आता है।
(कोई और स्पष्टीकरण हो तो जरूर बताएं)