ज्यादातर हम सभी के काले बाल होते हैं। मात्र काले कपड़े पहिनने का निषेध ही क्यों किया जाता है मंदिर में आखिर ऐसी कौन सी अपेक्षा है जिसके कारण यह कहा जाता है कि मंदिर में काले कपड़े नहीं पहिन कर जाना चाहिए? प्रमाण संभव हो तो दें एवं अपने विचार रखें।
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शायद इसीलिए काले बाल ढकने की परम्परा है।
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काला रंग कृष्ण लेश्या का सूचक है।यह नहीं की जो काले कपड़े पहनता है उसकी कृष्ण लेश्या ही होगी।पर हमारे पहनावे के अनुसार ही परिणाम होंगे और काला रंग पहनने से परिणाम विकृत होंगे ही।
बाल काले है तो इसमें हमारा बस नहीं चल सकता।यह प्रकृति है।इसलिए मन्दिर में और बड़े बुजुर्गों के सामने सर ढकने का रिवाज़ है।
इसलिए मन्दिर आदि स्थान पर श्वेत आदि हल्के रंग पहनना चाहिए।
प्रमाण तो कोई ज्ञात नहीं।
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Also, light-colored clothes are washed more frequently than dark-colored clothes as you can easily see the dirt on white clothes but can be easily hidden on black clothes. You can wear jeans-shirts for weeks but it not possible to continuously wear white kurta pajama for more than 3 days I guess.
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