इस श्लोक का अर्थ ज्ञात हो तो बताएं।
स्रोत- मेरी जीवनगाथा पेज no. 45
मेरे विचार से यह अर्थ होना चाहिए―
उपाध्याय, नट, धूर्त , दूती एवं इस ही प्रकार के अन्य लोगों के साथ माया का व्यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि माया इन्हीं के द्वारा बनाई गई है।
Blockquote
उपाध्याय, नट, धूर्त व्यक्ति और कुट्टिनी स्त्री के साथ माया/छल नहीं करना चाहिए क्योंकि माया तो उन्हीं लोगों के द्वारा निर्मित है।
अनुवादक:- निलय जैन शास्त्री
@JainTanmay @Durlabh @anubhav_jain
उपाध्याय के द्वारा माया कैसे निर्मित है !?
कृपया स्पष्ट कीजिए।
उपाध्याय अर्थात अपने गुरु के समक्ष माया युक्त व्यवहार नहीं करना चाहिए, कारण कि वे उससे भली भांति परिचित होते हैं।
इसका अर्थ यह नहीं करना है कि वे माया से युक्त होते हैं। इसके स्थान पर अर्थ ऐसा है कि वे माया की समस्त नीतियों से परिचित होते हैं,इसलिए शिष्य को अपने गुरु के समक्ष माया युक्त व्यवहार(कपट, झूठ, छल आदि) नहीं करना चाहिए।