दस लक्षण धर्म, रत्नत्रय धर्म और सोलह कारण भावना की पूजन तो सामान्य रूप में करी ही जाती हैं, परंतु व्रतों की पूजन क्यों नहीं; यदि करते है तो क्या वो सही है?
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- रत्नत्रय पूजन में सम्यक्चारित्र की पूजा और उसमें व्रतों की पूजा गर्भित है.
सम्यक्चारित्र पूजन (कविवर द्यानतराय जी) -
- जिनेन्द्र अर्चना, p. 138-139.
- रत्नत्रय विधान (पाण्डे राजमल जी द्वारा रचित) में इन्हीं तेरह प्रकार के चारित्र की एक-एक की अलग अलग पूजन है (त्रयोदश चारित्र - पाँच महाव्रत, पाँच समिति और तीन गुप्ति).
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व्रतो की पूजा में किन भावो को पूजा जा रहा है, यह भी बताइए? क्या शुभ भावों की पूजा करना ठीक है?
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